Tuesday 9 March 2021

Switzerland – 51.21 votes against wearing Burqa in public places

 

Switzerland has narrowly voted in favor of banning full facial coverings, including the niqab and burqa, in almost all public places. As many as 51.21 percent of voters voted in support of the proposal in the referendum. The approval by voters means that facial covering will be banned in all publicly accessible places, including on the streets, in public offices, on public transport, in restaurants, shops as well as in the countryside.

The places where full facial coverings will be allowed include places of worship and other sacred sites. Besides, it will be allowed for health and safety reasons and also in situations where it is ‘local custom’ such as carnivals. There will be no additional exceptions, like that for tourists, according to the proposal by the Swiss federal government.

The proposal, that was put forward by several groups including the Swiss People’s Party, does not mention Islam specifically but has been widely referred to as the ‘Burqa ban’ in Swiss media.

The Swiss Federal Council, which serves as the country’s federal govt, and the Swiss Parliament also rejected the initiative as going too far and advised people to vote against it. France was the first country in Europe to ban burqas and niqabs in public places in 2011 and the European Court of Human Rights upheld the ban in 2014. In Switzerland, the referendum has come after years of debates. Twelve years ago another referendum had come that outlawed the construction of minarets in Switzerland.

Wednesday 7 March 2018

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता पर देशद्रोह का मुकदमा, वसीम रिजवी ने दी थी तहरीर


sedition case filed against AIMPLB's spokesperson.हजरतगंज पुलिस ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी के खिलाफ देशद्रोह, सांप्रदायिक उन्माद भड़काने व अन्य आरोपों के तहत मंगलवार को मुकदमा दर्ज किया है। हैदराबाद में बोर्ड की बैठक में सज्जाद नोमानी के भड़काऊ भाषण पर उप्र शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने रिपोर्ट दर्ज न करने पर एसएसपी को तहरीर दी थी।
इंस्पेक्टर आनंद कुमार शाही ने बताया कि सैयद वसीम रिजवी ने हैदराबाद में हुई बैठक में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी के भड़काऊ भाषण की सीडी के साथ तहरीर एसएसपी को सौंपी थी। इस पर नोमानी के खिलाफ देशद्रोह, सांप्रदायिक उन्माद भड़काने, लोकसेवक का अपमान या कार्य में विघ्न डालने आदि की धारा के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई है।

रिजवी का आरोप है कि 9 फरवरी को हैदराबाद में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में सज्जाद नोमानी ने तकरीर में भड़काऊ शब्दों का इस्तेमाल किया था। तकरीर एक न्यूज चैनल पर प्रसारित हुई। इसका पूरे देश के मुसलमानों पर असर पड़ा।

रिजवी ने बताया कि उन्होंने टीवी चैनल पर प्रसारित तकरीर इंदिरा भवन स्थित अपने ऑफिस में सुनी। इस पर 13 फरवरी को हजरतगंज कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए तहरीर भेजी थी लेकिन इंस्पेक्टर ने मामला हैदराबाद का और साक्ष्य प्रस्तुत न करने की आपत्ति लगाकर रिपोर्ट नहीं लिखी और तहरीर 22 फरवरी को वापस भेज दी। इस पर उन्होंने चैनल पर प्रसारित भाषण की तहरीर के साथ एसएसपी को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की थी। 
स्त्रोत :  https://www.amarujala.com/lucknow/sedition-case-filed-against-aimplb-s-spokesperson?src=story-most-read

Monday 5 March 2018

तीन तलाक का समर्थन कर मुस्लिम महिलाओं ने किया शरीयत का विरोध, पेश किया 11 सूत्रीय प्रस्ताव




मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक कानून का समर्थन कर इसे जल्द लागू करने के साथ ही शरीयत कानून का विरोध कर अपने (मुस्लिम महिलाओं) मामलों को भारतीय कानून के अनुसार विशेष कोर्ट बनाकर सुने जाने की मांग की है। उन्होंने महिलाओं के हित के लिए 11 सूत्रीय प्रस्ताव भी पेश किया है।


अयोध्या के तुलसी स्मारक में सोमवार को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले आयोजित किए गए पहले मुस्लिम महिला सम्मेलन में बड़ी संख्या में एकत्रित मुस्लिम महिलाओं ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण सहित तीन तलाक और मुस्लिम महिलाओं के हक से जुड़े मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद की।

सम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश ने कहा कि तलाक गुनाह है, कुरान शरीफ में तीन तलाक शब्द का जिक्र तक नहीं है। जब कुरान में नहीं है, तो जिसने भी तीन तलाक ईजाद किया वह खुदा या रसूल का नहीं हो सकता। तीन तलाक महागुनाह है। कुरान शरीफ  में तलाक के लिए 90 दिन का रास्ता बनाया है, इतना कठिन रास्ता है कि आज तक किसी ने इस रास्ते से तलाक नहीं लिया। तलाक गुनाह है, यह खुदा को नापसंद है तो मौलवी इसे कैसे मानते हैं।  मौलाना, इमाम, मौलवी गलत रास्ता बता रहे हैं। तलाक एक गुनाह था, और गुनाह रहेगा। वहीं, राम मंदिर पर उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर था, जिसे तोड़ा गया। यह रामलला की संपत्ति है,जहां राममंदिर ही बनेगा।


कहा कि जो कथित मौलाना कुरान व हदीस को गलत व्याख्या कर तीन तलाक व औरतों के हक के मामले पर शरीयत के नाम पर कानून की अवहेलना करने की वकालत करते हैं ऐसे मौलानाओं की डिग्रियों की जांच की जानी चाहिए। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय सह संयोजिका शहनाज अफजाल ने कहा कि तीन तलाक जायज नहीं है। बहु विवाह जैसी प्रथा पर रोक लगना चाहिए।



सम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश ने कहा कि तलाक गुनाह है, कुरान शरीफ में तीन तलाक शब्द का जिक्र तक नहीं है। जब कुरान में नहीं है, तो जिसने भी तीन तलाक ईजाद किया वह खुदा या रसूल का नहीं हो सकता। तीन तलाक महागुनाह है। कुरान शरीफ  में तलाक के लिए 90 दिन का रास्ता बनाया है, इतना कठिन रास्ता है कि आज तक किसी ने इस रास्ते से तलाक नहीं लिया। तलाक गुनाह है, यह खुदा को नापसंद है तो मौलवी इसे कैसे मानते हैं।  मौलाना, इमाम, मौलवी गलत रास्ता बता रहे हैं। तलाक एक गुनाह था, और गुनाह रहेगा। वहीं, राम मंदिर पर उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर था, जिसे तोड़ा गया। यह रामलला की संपत्ति है,जहां राममंदिर ही बनेगा।
स्त्रोत :https://www.amarujala.com/photo-gallery/lucknow/car-caught-fire-due-to-a-short-circuit-in-ac

Sunday 4 March 2018

अयोध्या में 5 मार्च को मुस्लिम महिला सम्मेलन, दर्शन कर होगी राम मंदिर निर्माण के समर्थन की अपील

अयोध्या में 5 मार्च को मुस्लिम महिला सम्मेलन, दर्शन कर होगी राम मंदिर निर्माण के समर्थन की अपील

आने वाले पांच मार्च को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक समेत 11 सूत्रीय मांगों को लेकर मुस्लिम महिला सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है।

आने वाले पांच मार्च को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक समेत 11 सूत्रीय मांगों को लेकर मुस्लिम महिला सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में प्रदेश भर से करीब 500 मुस्लिम महिलाएं शामिल होगी। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक मुरारी दास ने बताया कि पांच मार्च को अयोध्या तुलसी स्मारक सभागार में मुस्लिम महिलाओं के सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इस सम्मेलन में मुस्लिम महिलाएं राममंदिर निर्माण के समर्थन में अपील करेंगी। राममंदिर का दर्शन भी करेंगी।
उन्होंने बताया कि सम्मलेन में तीन तलाक समेत लेकर 11 मुद्दों पर महिलाएं अपनी मांगे रखेंगी। जिसमें मुस्लिम महिलाओं के समान हक के लिए तालीम, पिता व पति की जायदाद में हक, दुनिया की हर जगह पर नौकरी पेशा का अधिकार, तीन तलाक में सजा तीन साल से दस साल करना, तीन तलाक के समय से मुआवजा और जब मुआवजा न मिले तो विधवा पेंशन की तरह तलाक पीड़ित महिला पेंशन की मांग प्रमुख है। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक महिरध्वज उर्फ मुरारी दास, नादिरा हुसैन, ठाकुर राजा रईस, सैयद हसन कौसर मौजूद रहेंगे। उन्होंने बताया कि 61 संगठनों से जुड़े सुन्नी सोशल फोरम ने राममंदिर के प्रति अपना समर्थन जताया है। यह सभी अपना सहमति पत्र भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे।
स्त्रोत :https://www.jansatta.com/rajya/muslim-mahila-sammelan-organised-by-rashtriy-muslim-manch-will-appeal-for-support-ram-mandir-in-ayodhya/591142/

Thursday 1 March 2018

मंदिर तोडकर बनाई मस्जिदों में अल्लाह की इबादत जायज नहीं, इसे हिन्दुआें को वापस करे – वसीम रिजवी

मंदिर तोडकर बनाई मस्जिदों में अल्लाह की इबादत जायज नहीं, इसे हिन्दुआें को वापस करे – वसीम रिजवी


लखनऊ : उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने देश में मंदिर तोडकर बनाई गई ९ मस्जिदों को हिन्दुओं को वापस करने की मांग की है । यह मांग ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से की गई है । वसीम रिजवी ने इसके लिए बोर्ड के अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा कि, इस्लाम में किसी धार्मिक स्थल को जबरन तोडकर मस्जिद बनाया जाना जायज नहीं है । वसीम रिजवी के कारनामों से देवबंदी उलमा सख्त नाराज हैं । उनका मानना है कि, वह भाजपा को खुश करने और अपने सियासी वजूद को बनाने के लिए इस तरह की हरकतें कर रहे हैं ।

तोडकर बनी मस्जिदों इबादत जायज नहीं

वसीम रिजवी ने अपने पत्र में लिखा है कि दूसरे धार्मिक स्थल तोडकर बनाई गई मस्जिदों में किसी भी तरह की अल्लाह की इबादत जायज नहीं है । इसलिए ऐसी मस्जिदें हिन्दू समाज को सौंप दी जाएं । ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यदि ऐसा करेगा तो इस्लाम का असली उद्देश्य विश्व के सामने पेश हो सकेगा । उन्होंने कहा कि मेरा ९ मस्जिदों को हिन्दू समाज को सौंपने का जो प्रस्ताव है उसे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आगामी बैठक के आम जलसे में रखा जाए ।
उन्होंने कहा कि, इतिहासकारों ने अध्ययन करके ९ मस्जिदों के बारे में बताया है कि, इन्हें मुगलों व उनसे पहले आए सुल्तानों ने मंदिरों को तोडकर बनाया है । इन मस्जिदों को हिन्दुओं को वापस देने के लिए बोर्ड में आम राय बनाई जाए । उन्होंने बोर्ड को एनजीओ की संज्ञा देते हुए कहा कि, कुछ कट्टरपंथी लोग इस प्रस्ताव पर विचार ही नहीं करेंगे, परंतु इस्लाम यह सीख देता है कि चाहे जालिम की ही पंचायत क्यों न हो अपनी हक की बात उनके सामने जरूर रखनी चाहिए ।

इन धार्मिक स्थलों को हिन्दुओं को सौंपने की वकालत

१. राम मंदिर, अयोध्या
२. केशव देव मंदिर, मथुरा
३. अटाला देव मंदिर, जौनपुर
४. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
५. रुद्र महालय मंदिर, बटना, गुजरात
६. भद्रकाली मंदिर, अहमदाबाद, गुजरात
७. अदीना मस्जिद, पंडुवा, पश्चिम बंगाल
८. विजय मंदिर, विदिशा, मध्य प्रदेश
९. मस्जिद कुव्वत-उल-इस्लाम, कुतुबमीनार, देहली
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने मुस्लिम पर्सनल-लॉ-बोर्ड से मंदिर तोडकर बनाई गई मस्जिदों को हिन्दू समाज को वापस करने की मांग की है । वसीम रिजवी ने २६ जनवरी को मुस्लिम पर्सनल-लॉ-बोर्ड को एक पत्र भेजा था । इसमें रिजवी ने नौ मस्जिदों का जिक्र करते हुए कहा था कि उक्त स्थानों पर मंदिर था जिन्हें तोडकर मस्जिदें बना दी गई हैं ।
पत्र में रिजवी ने मस्जिदों को वापिस करने की बात कहते हुए पूछा था कि क्या ऐसी मस्जिदों में नमाज पढऩा जायज है ? इस पर दारुल उलूम निसवा के मोहतमिम मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कहा कि सुर्खियों में बने रहने के लिए रिजवी इस तरह के शिगूफे छोडते रहते हैं । इस्लामी विद्वान मुफ्ती अथर कासमी ने कहा कि बेशक कब्जा की गई जगह पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती और ना ही वहां नमाज हो सकती है, परंतु रिजवी अपने दावे को साबित तो करें कि उक्त मस्जिदों को जमीन कब्जा कर बनाया गया है ।
स्त्रोत : जागरण